व्यक्तित्व (PERSONALITY)
व्यक्तित्व (PERSONALITY)
‘पर्सनालिटी’ शब्द का हिंदी अर्थ है| यह शब्द लैटिन भाषा के ’ परसोना’ से लिया गया है| पर्सोना का अर्थ होता है नकली चेहरा, मुखौटा|
परिभाषा
आलपोर्ट के अनुसार- “ व्यक्तित्व व्यक्ति में उन मनोदैहिक व्यवस्थाओं का गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण के साथ अपूर्व समायोजन करता है|”
बोरिंग के अनुसार-” वातावरण के साथ सामान्य एवं स्थाई समायोजन ही व्यक्तित्व हैं”
मन के अनुसार- “ व्यक्तित्व एक व्यक्ति के व्यवहार के तरीकों, दृष्टिकोणों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा अभिरुचियों का विशिष्टतम संगठन है”
ऊपर दी गई परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि
1 वातावरण के साथ उस व्यक्ति के समायोजन का निर्धारण व्यक्तित्व है|
2 व्यक्तित्व मानसिक एवं शारीरिक गुणों का संगठन है|
3 व्यक्तित्व मनुष्य के बाहरी एवं आंतरिक गुणों का सम्मिलित स्वरुप है|
4 व्यक्तित्व गत्यात्मक संगठन है|
व्यक्तित्व का वर्गीकरण
भारतीय दृष्टिकोण में व्यक्तित्व का वर्गीकरण
1 सतोगुणी व्यक्तित्व- सतोगुणी व्यक्तित्व वाला व्यक्ति उच्च आदर्श,श्रेष्ठमूल्य, उत्तम स्वभाव एवं नैतिक मूल्यों से युक्त होता है|
2 रजोगुणी व्यक्ति- सतोगुण व तमोगुण के मध्य की स्थिति रजोगुण की होती है| रजोगुणी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति में कुछ अच्छे गुण भी होते हैं कुछ बुराइयां भी होती हैं|
3 तमोगुण व्यक्तित्व- ऐसे व्यक्ति निम्न स्वभाव के होते हैं इनमें कामी, क्रोधी, आलसी तथा अब माननीय व्यवहार उसे परिपूर्ण होते हैं|
भारतीय दृष्टिकोण में व्यक्तित्व को दूसरी तीन श्रेणियों में और विभक्त किया जा सकता है|-
1 कफज- शरीर में कब प्रधान व्यक्ति कवच व्यक्तित्व वाला होता है|
2 पित्तज- ऐसे व्यक्ति के शरीर में की प्रधानता होती हैं|
3 वायुज- ऐसे व्यक्ति के शरीर में वायु की प्रधानता होती है|
तीनों ही प्रकार के व्यक्ति स्वभाव, चरित्र व व्यवहार में एक दूसरे से भिन्न होते हैं|
पाश्चात्य दृष्टिकोण
शेल्डन के अनुसार- शेल्डन ने शारीरिक संरचना के आधार पर व्यक्तित्व को तीन भागों में बांटा है
1 गोलाकार
2 आयताकार
3 लंबाकार
स्प्रिंग के अनुसार व्यक्तित्व का वर्गीकरण
स्प्रिंग ने व्यक्तित्व को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के आधार पर 6 भागों में विभाजित किया है
1 सैद्धांतिक- इस श्रेणी में कवि, लेखक, दार्शनिक आदि को सम्मिलित किया जा सकता है|
2 आर्थिक- इस श्रेणी में व्यापारी, दुकानदार, उद्योगपति आदि को सम्मिलित किया जा सकता है|
3 सामाजिक - इस श्रेणी में सहानुभूति, सहिष्णुता, दया व समाज सेवा की भावना रखने वाले व्यक्ति आते हैं|
4 राजनीतिक- इस श्रेणी में आने वाले व्यक्ति राजनीति तथा प्रशासन में ज्यादा भाग लेते हैं|
5 सौंदर्यात्मक- इस श्रेणी में कलाकार, मूर्तिकार, साहित्यकार, प्रकृति प्रेमी आदि आते हैं|
6 धार्मिक- इस श्रेणी में संत ,पुजारी, भक्त आदि आते हैं|
थार्नडाइक के अनुसार
1 सूक्ष्म विचारक
2 प्रत्यक्ष विचारक
3 स्थूल विचारक
जुंग के अनुसार
1 अंतर्मुखी
2 बहिर्मुखी
3 उभयमुखी
आधुनिक वर्गीकरण
1 भावुक व्यक्ति
2 कर्मशील व्यक्ति
3 विचारशील व्यक्ति
व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले कारक
व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को दो भागों में बांटा गया है|
1 जैविकीय वंशानुक्रम संबंधी कारक
2 सामाजिक व वातावरणीय कारक
1 जैविक या वंशानुक्रम संबंधी कारक
शारीरिक बनावट
स्वास्थ्य
बौद्धिक योग्यता
स्नायुमंडल
अंत स्त्रावी ग्रंथियां
2 सामाजिक व वातावरणीय कारक
परिवार
मित्र मंडली
विद्यालय
पड़ोस
भौतिक वातावरण
सांस्कृतिक वातावरण
व्यक्तित्व मापन की विधियां
व्यक्तित्व मापन की विधियों को चार भागों में बांटा गया है|
1 आत्मनिष्ठ या व्यक्तिनिष्ठ विधियां
2 वस्तुनिष्ठ विधियां
3 मनोविश्लेषणात्मक विधियां
4 प्रक्षेपण विधियां
व्यक्तिनिष्ठ विधियां
इन विधियों में आत्मकथा विधि, साक्षात्कार विधि, व्यक्ति इतिहास विधि, प्रश्नावली विधि आती हैं|
1 आत्मकथा विधि- विलियम वुंट तथा टीचनर इस विधि के प्रवर्तक है|
इस विधि में परीक्षक विद्यार्थी के व्यक्तित्व का परीक्षण करने के लिए एक शीर्षक दे देता है और उसे कहता है कि इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए वह अपने जीवन से संबंधित इतिहास लिखें|
विद्यार्थी के द्वारा लिखे गए इतिहास के माध्यम से उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है|
2 साक्षात्कार विधि- यह विधि अमेरिका से प्रारंभ हुई थी|
इस विधि में परीक्षक व परीक्षार्थी आमने-सामने होते हैं| परीक्षक परीक्षार्थी को प्रश्न पूछता है परीक्षार्थी उन प्रश्नों के उत्तर देता है| परीक्षार्थी द्वारा दिए गए उत्तर की सहायता से उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है|
3 व्यक्ति इतिहास विधि- यह विधि टाइड मैन द्वारा दी गई थी|
इस विधि में परीक्षक परीक्षार्थी के जीवन के बारे में तथ्य एकत्रित करता है उनकी सहायता से उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है|
यह विधि निदानात्मकता पर आधारित है| और सामान्य बालकों का निदान इसी विधि द्वारा किया जाता है|
4 प्रश्नावली विधि- इस विधि को व्यक्तिगत अनुसूची भी कहा जाता है|
वुडवर्थ द्वारा सबसे पहले पर्सनल डाटा इन्वेंटरी का निर्माण किया गया|
इस विधि में परीक्षक द्वारा प्रश्नों की एक सूची तैयार की जाती हैं, इन प्रश्नों का उत्तर परीक्षार्थी को ‘हां’ या ‘ना’ देना होता है|
वस्तुनिष्ठ विधियां
1 निरीक्षण विधि - इस विधि को बहिर दर्शन विधि व सार्वभौमिक विधि के नाम से भी जाना जाता है|
इस विधि के प्रवर्तक वाटसन है|
इस विधि में परीक्षार्थी के व्यवहार का भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में अध्ययन किया जाता है|
2 समाजमिति विधि- यह विधि जे.एल. मोरेनो द्वारा दी गई है|
इस विधि में परीक्षार्थी से संबंधित सामाजिक प्रश्न समाज के व्यक्तियों से पूछे जाते हैं|
3 क्रम निर्धारण मापनी- धरण मापनी विधि में क्रम निर्धारण मापनी के माध्यम से व्यक्तियों से आंकड़े एकत्रित करके परीक्षार्थी के बारे में निष्कर्ष निकाला जाता है|
4 शारीरिक परीक्षण विधि- इस विधि में व्यक्ति की शारीरिक जांच करके निष्कर्ष निकाला जाता है| इस विधि का उपयोग पुलिस, वायु सेना, थल सेना, जल सेना की शारीरिक दक्षता परीक्षा के समय किया जाता है|
मनोविश्लेषणात्मक विधियाँ
प्रवर्तक सिगमंड फ्रायड
1 स्वतंत्र शब्द साहचर्य परीक्षण
2 स्वप्न विश्लेषण
प्रक्षेपण विधियां
प्रक्षेपण शब्द का सबसे पहले प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया था|
प्रक्षेपण का अर्थ होता है अपने विचारों, बातों एवं कमियों को अन्य व्यक्तियों या पदार्थों के माध्यम से व्यक्त करना|
प्रक्षेपण वह प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के भावों, विचारों, भावनाओं, संवेगों, स्थाई भावों एवं आंतरिक भागों का अन्य व्यक्तियों या बाहरी जगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करता है|
वारेन के अनुसार- “ यह वह प्रवृत्ति हैं जिसमें व्यक्ति बाह्य जगत में अपने दमित मानसिक प्रक्रियाओं का प्रक्षेपण करता है”
प्रक्षेपण प्रविधियों के स्वरूप
इन प्रविधियों में सामान्य रूप से व्यक्ति के संभोग उद्दीपक स्थिति प्रस्तुत की जाती है तथा उसे ऐसे अवसर प्रदान किए जाते हैं कि वह अपने व्यक्तिगत जीवन से संबंधित छिपी हुई बातों को उन परिस्थितियों के माध्यम से प्रकट करें|
इन प्रविधियों का संबंध सामान्यतः अवचेतन मन में दमित इच्छाओं से होता है| प्रक्षेपण विधि के द्वारा अवचेतन में दबी हुई इच्छाओं को बाहर लाया जा सकता है|
प्रक्षेपण विधियां आंतरिक भावना तथा व्यक्तिगत संरचना का मापन करती हैं|
प्रक्षेपी विधियों की विशेषताएं
1 यह व्यक्ति के अंतर्मन में दबे हुए विचारों को प्रकट करने में सहायक होती हैं|
2 इनके द्वारा बाही पदार्थों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रुप से विचारों, अभिवृत्ति , संवेगों, अभाव, अनुभव, भावनाओं वह गुणों का अध्ययन किया जाता है|
3 यह भी दिया अचेतन मन को समझने का एक मात्र साधन है|
4 इनकी स्थिति संदिग्ध होती हैं इसीलिए व्यक्ति को अनुमान लगाने का अवसर नहीं मिल पाता|
5 इनका प्रयोग सामान्य तथा असामान्य दोनों भारती के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त हैं|
प्रक्षेपी विधियों के दोष
1 प्रक्षेपी वीधियो का मानवीकरण एवं रचनाएं एक दुर्लभ कार्य है|
2 इस तरह के परीक्षणों में समय व धन अधिक खर्च होता है|
3 इन वीडियो का प्रशासन, गण एवं ए या साधारण मनोवैज्ञानिक द्वारा संभव नहीं हो पाता है|
4 इन प्रविधियों का संबंध मुख्य रूप से व्यक्ति के अचेतन पक्ष से ही रहता है जबकि व्यक्तित्व चेतन तथा अचेतन मन से मिलकर बना होता है|
5 इनकी विश्वसनीयता और वैधता निर्धारित करना बहुत कठिन कार्य है|
6 यह प्रविधियां सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा सामान्य व्यक्तियों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने में अत्यधिक उपयोगी साबित होती हैं|
7 अनुसंधान कार्यों की अपेक्षा के चिकित्सक क्षेत्रों में इसका व्यापक रूप से प्रयोग संभव होता है|
स्याही धब्बा परीक्षण
निर्माण- हरमन रोर्शा 1921
10 कार्ड
5 कार्ड काले वह सफेद स्याही के धब्बे वाले
5 कार्ड विभिन्न रंग के
बालकों को कार्ड दिखाकर पूछा जाता है कि इनमें कौन सी आकृति दिखाई दे रही है?
प्रासंगिक अंतर्बोध या प्रसंग आत्मक बोध परीक्षण(TAT)
निर्माण- मॉर्गन व मुर्रे 1935
30 कार्ड प्रत्येक पर एक चित्र
10 कार्ड पर स्त्रियों से संबंधित चित्र
10 कार्ड पर पुरुषों से संबंधित चित्र
10 कार्ड पर स्त्री और पुरुष दोनों से संबंधित चित्र
14 वर्ष से अधिक के बालक को इन चित्रों को देखकर कहानी लिखने के लिए कहा जाता है|
बाल संप्रदाय या बालकों का बोर्ड परीक्षा(CAT)
निर्माण- लियोपोल्ड बैलोक 1948
10 कार्ड होते हैं| प्रत्येक कार्ड पर जानवरों के चित्र
बच्चों को कार्ड दिखाकर कहानी लिखने के लिए कहा जाता है|
वाक्य पूर्ति परीक्षण
निर्माण- पाइन व तैन्डलर 1930
इसमें अधूरे वाक्य को पूरा करना होता है|
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